Friday, December 18, 2015

झंडी लग जाई

#भोजपुरी #झंडी लग जाई                                     हम हिया उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिला में निघासन ब्लॉक में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में काम करत बानी । समूह से जुड़ल कुछ मेहरऊआ सब जिनका आजीविका के बारे में अधकचरा ज्ञान बा आ कोनो अफवाह में पड़ल बानी एगो बात उनका से सुने ला मिलल -"झंडी लग जाई अगर सरकार के पैसा न लौटायब " हमरा समझ में आएल की इ झंडी झंड के स्त्रीलिंग बा ? उ रवि किशन के एगो फ़िलीम में डाइलॉग रहे न "जिंदगी झंड बा तहियो घमंड बा " उहे वाला झंड के स्त्रीलिंग बा झंडी । हम एकदम कंफुजिया गेल रहनी तब जाके एगो लोकल आदमी से पूछनी 'इ झंडी का होता हैं ?' पहले उ ऊपर से नीचे ऐसे ताके लगल जैसे हम कोनो अपराध कर देले बानी फेर   पुछलस कहाँ से हो भइया ? हमहू धीरे से कहनी बिहार से । तब जाके उ समझावे लगल हिया कोनो के ऊपर सरकारी बकाया रहेला ता ओकरा चेतावनी देवे खातिर ओकर दुआरी पर तहसीलदार लाल झंडी लगावत बारे ओकरे कहल जाला "झंडी लग गेल" । हम अप्पन माथा पकड़नी की धत् तोरी के इ त झंडा के स्त्रीलिंग बा झंडी आ हम झंड के समझत रहनी ☺ हमहू समूह के दीदी सब के समझा देनी कि तोरा सब के झंडी न लागी गरीबी दूर भागी #स्वयं सहायता समूह #प्रेरणा #एन आर एल एम्

Friday, September 4, 2015

चोला माटी के राम

चोला माटी के राम ।                                      बीते मंगलवार कि बात है मुजफ्फरपुर जिला में अपने क्षेत्र में थे ,जहाँ गाँव में भाडा पर डेरा लेकर रहते है । उस मकान में एक बुजुर्ग दंपती रहते है ,उनके बाकि परिवार मुजफ्फरपुर शहर में रहते है । बाबा कि उम्र कोई पचहत्तर साल के करीब होगी,मास्टरी से रिटायर थे । अपना पूरा ख्याल रखते थे ,सुबह चार बजे उठ जाना कसरत करना । इस उम्र में भी वो रोज दस बारह किलोमीटर साईकिल चला कर खेत गाछी घूम आते थे । बूढी थोडी बीमार रहती थी , ये ही उसकी पूरी सेवा करते थे । दोनों एक दूसरे का सहारा थे । महीने में एगाद बार कोई बेटा आकर देख जाता था । इनलोंगों को भी शहर चलने के लिए वे बार बार बोलते थे ,लेकिन गाँव घर के मोह माया में ये नहीं जाते थे । सुखी सम्पन्न परि
वार किसी चीज कि कोई कमी नहीं ।                मंगलवार कि सुबह मुझे जगने में थोडी देर हो गई चूँकी सोमवार को बाइक चलाके पटना से आए थे और दिन भर पूरा क्षेत्र भी भ्रमण किए थे । आईंदा बाबा के साथ साथ हम भी उठ जाते थे । करीब साढे पाँच- छ: के बीच का समय था बगल में हो हल्ला हो रहा था , हम अपना बिस्तर समेत रहे थे तभी बूढी आयी दुआरी पर बोली -देखू त झाजी मालिके के आवाज बुझाई छै झगडा होई छै कि ? हम बाडी में देखे तो बाबा ही नजर आए । हम आके बूढी को बता दिए मालिके हैं । मामला था कि इन्होनें घर के बगल में बाडी मे माटी भरवाया था ,बगल के जमीन वालों से झंझट था पुराना ,बगलवाले ने कुछ माटी अपनी ओर पसार लिया और नाला भी खान दिया था इसी बात का झगडा था । उधर से भी एक बूढी औरत थी दोनों तरब से बाता बाती होते होते बात बढ गयी । बाबा जोर जोर से गरज रहे थे ,बगल वाली बूढिया को डाँट डपट कर वो जैसै ही वापस अपने आँगन आ रहे थे कि चप्पल में धोती फँसी और वो गिर कर अचेत हो गए । उस समय हम अपने चौकी पर बैठकर पानी पी रहे थे तभी बूढी(मालिक कि पत्नी) जो खिडकी से सारा नजारा देख रही थी चिल्लाउ दौउडी हे झाजी मालिक गिर गेलथीन । हम दौड कर गए और गाँववालों कि सहायता से बाबा को उठा कर लाए ,देखने से लगा कि इनका हार्ट अटैक हुआ या ब्रेन हेमरेज हुआ है । बूढी के साथ साथ गाँव के लोग भी अपने स्तर से कोशिश कर रहे थे ,मैनैं अपनी बाईक निकाली और गाँव के एक डॉक्टर को पकड कर लाये ,उन्होंने देखते ही बता दिया नहीं रहे । फिर भी मन में संतोष नहीं हो रहा था , गाँववालों को बोले एक चार चक्का गाडी का इंतेजाम किजीए तब तक बाबा के बेटों को भी फोन कर दिए । एक आदमी बोलेरो लेकर आए उसमें बाबा और बूढी को बैठाकर हम पीछे से अपनी बाईक से चले ,रास्ते में ही उनके बेटा पोता भेंट हो गए । मुजफ्फरपुर में एक निजी क्लीनीक में ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दीया । वापस हमलोग लाश लेकर गाँव आ गए । कुछ ही घंटो में घर में रिश्तेदारों कि भीड लग गयी । शाम को दाँह संस्कार हुआ । मेरा तो दिमागे सुन्न हो गया था कि ये क्या होगा थोडी सी माटी के ढेला के लिए किसी की जान चली गयी । सच ही कहा गया है चोला माटी के राम ।

Friday, August 21, 2015

जंगलराजकियादें

#जंगलराजकियादें । बात उन दिनों कि हैं जब बिहार में जंगलराज कि तूती बोलती थी । कोई भी गोप जी का नाम लेकर आता और बाजार से कुछ भी मंगनी में उठा के ले जाता था , नहीं देने पर धंधा बंद या कुछ महीनों के लिए हाथ पैर तुडवाकर अस्पताल में भर्ती , कितनो का अता पता भी नहीं चला । मेरी नई नई जवानी उफान मार रही थी, पिता जी गुजरने के बाद दुकान एवं घर कि जिम्मेवारी मेरे ही ऊपर आ गयी थी । हमारा दुकान पटना में नामी जगह पर था सामने ही जंगलराज के चमचों का पूरा मोहल्ला पडता था , मोड पर किसी के निकलते ही पूरे सडक के दुकानदार सिहड जाते थे । हमारा छोटा सा होटल था ,जिसमें रिक्शे ठेले वाले ,मजदूर खाना खाया करते थे । उसी से हमारा गुजर बसर एवं पढाई लिखाई भी होती थी । दुकान में हम सभी भाई ही मिलकर सारा काम करते थे, खाना बनाने से लेकर बर्तन ढोने तक । उस दिन मैं अकेला ही दुकान पर था , भाई ट्यूशन पढने गया था । अगले दिन मेरी कोलकाला में रेलवे कि परीक्षा थी , सो थोडा टेंशन मे थे ट्रेन भी पकडना था ,राखी का समय था एक दोस्त के लिए राखी लेना था उसके घर से जो उस समय कोलकाता में पढ रहा था ।इसी उधेडबुन में ग्राहकों को खाना भी खिला रहे थे तभी गोप जी (जो उस समय लालूजी के एक साले के खास आदमी हुआ करते थे) के कुछ आदमी खाना खाने के लिए आए (फ्री में ही खाते थे )जो दिन में ही फुल पीए हुए थे , मैनें खाना निकालकर दिया वो खा रहे थे तभी बगल में खा रहे मजदूर से किसी बात को लेकर बहस हुई वो सब उस बेचारे को भद्दी भद्दी गालियाँ देने लगे , मैं समझाने गया तो मुझे भी भद्दी भद्दी गालियाँ देने लगे तथा खाना सब उलट दिया , मेरा तलवा का लहर कपार पर चढ गया (यह नई नई जवानी और कुछ जात का भी असर था) मैनें सब्जी चलाने वाला बडका छोलनी उठाया और दे दना दे दना दन मार मार के मोहल्ले के मोड तक खदेड दिया । वापस आकर भात पसाने लगा , तब तक सैकडो आदमी गोप जी के पीछे पीछे आ गये लाठी ,डंडा गोली बंदूक सब लिए हुए , गोप जी का आदेश हुआ मारो साले के हमर आदमी पर हाथ उठाता था । मैं भात ही पसा रहा था कि ईटा पत्थर उन्होनें बरसाना शुरू कर दिया , एक ईंट कपार पर और एक ईंट दाँतो पर लगी , कपार फट गया, होंठ फट गए आगे का एक दाँत टूट गया । तभी किसी ने थाना में फोन कर दिया , थाना कि जिप्सी तुरंत आ गयी लेकिन गोप जी को देखते ही चलते बनी । मैं दर्द से कराह रहा था लेकिन कोई मदद को नहीं आया । अंत में मैनैं ही हथियार डालना उचित समझा और जाके गोप जी के पैर पकड लिए , मैं खून से लथपथ था ये देखकर गोपजी का दिल पसीजा और उन्होनें अपने सभी गुर्गों को भागने का आदेश दिया । मैं दो तीन घंटे यूँ ही दुकान के आगे सडक पर बैठा रहा पर कोई मदद को नहीं आया । कुछ घंटो बाद एक दूर के रिश्तेदार आए जिन्होंने मरहम पट्टी करवाई । चौंतीस टाँके पडे थे  । होंठ के अंदर चार । चार पाँच महीने बिस्तर पर पडा रहा । न ठीक से खा पाता था न बोल पाता था । अगल बगल के लोग आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी मार खाने के बाद भी ये बच कैसै गया ? कुछ लोग एफ आई आर करने को बोल रहे थे ,लेकिन बुद्धिजीवीयो ? ने सलाह दी कि और लफडा हो जाएगा धंदा बंद हो जाएगा , गवाही कोई नहीं देगा । पी एम  सी एच में ईलाज कराने गए तो डॉक्टरों ने पुलिस केस बताकर ईलाज करने से मना कर दिया । थाना गए तो पुलिस ने गोप जी का नाम सुनते ही रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया ,बोले मैनैज कर लो । रोज धमकी मिलती रही केस नहीं करने को । बाबूजी के कुछ शुभचिंतको ने गोपजी को समझाया जाने दीजीए बिन बाप का बच्चा है , कमाता-खाता,पढता-लिखता है कुछ नहीं करेगा । तब जाकर जान छूटी । अंदर से डर खत्म हो गया लोग बोलते रहे दाँत टूट गया है आगे का है अच्छा नहीं लग रहा  लगवा लो मैनैं नहीं लगवाया । कुछ यादें जेहन में हमेशा रहनी चाहिए । मेरा वो रेलवे का परीक्षा नहीं छूटता तो शायद मैं अभी रेलवे में नौकरी कर रहा होता । खैर छोडिए जेहि विधी राखे राम ☺☺

Friday, August 14, 2015

बोल जय श्री राम

#जय श्री राम ! काल्हे रात सपना में हनुमान जी दर्शन दील्हले । गदवा के नोक हमरा पीठीया में भोंक हमरा उठैले । हनुमान जी -बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम ना बोलब ,हमर सेकुलर मित्र सब नाराज हो जैहन , बोलिसन तू आर एस एस के चेला है, तू कट्टर हिन्दू है , धर्मनिरपेक्षता आ देश कि अखंडता पर खतरा है , तोरा से हम दोस्ती न करम , तोरा के ब्लोक कर देम । हनुमान जी - मारबौ गदा कपार पर त चढ जैईबै पहाड पर 😬 सेकुलर मित्र तोरा खाए ला दे हौ ? मुसीबत अईला पर तोरा मदद करे हौ ? संकट से दूर निकाले हौ ? हम कहनी -ना प्रभु ! हनुमान जी -जो राम का नहीं वो किसी का नहीं । त बोल जय श्री राम ! हम कहनी - हम ना बोलब ! काहे कि अभी बिहार में इलेक्सन के टाईम बा , सेकुलर रहब त कही जोगाड सेट हो जाई । हनुमान जी - धत् बुरबक तू चोरी क ईले हैं ? हम कहनी -न प्रभु ।हनुमान जी -लूट ,हत्या,डकैती,अपहरण,रंगदारी,बलात्कार "" हम कहनी -राम राम ! ई का कहतानी प्रभु । हम इ सब से दूर बानी । हनुमान जी- त तोरा के के भोट देतौ ? बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम न बोलब , जे रामजी अपने तिरपाल गाड के रहतानी ऊ हमरा के का उबारीहन ? हनुमान जी पुरा गुसा गैलन थुथना फुला के कहलन - बोलबे जय श्री राम कि मार गदा के देहवा चूर दियो 😬हम कहनी -हम कमजोर बानी त न हमरा पर गुस्सा दिखावत बाडन ? ऊ जे छप्पन इंच के सीना ले के दिल्ली में बैठन बाडन कि हमर सरकार आयत त अयोध्या में राममंदिर बनवा देव,धारा 370 खत्म करवा देब ,विदेश से काला धन ले आईब, भोजपुरी के आँठवा अनुसुची में शामिल करवा देब । उनका जाके गदा दिखाई तब न बूझी रौआ के बजरंगबलि । अब त हनुमान जी रौद्र रूप धारण कर लैहलन , गदवा कँधवा पर रखी के बोललन -तू त अईसन न रहे , बचपने से हनुमान चालीसा पढत रहे आ जय श्री राम बोलत रहे । बोल जय श्री राम ! हम कहनी -हम न बोलब । हनुमान जी-बचपने से मुसीबत आईला पे केकर नाम ले है  ? हम कहनी -जय श्री राम ! जय हनुमान । हनुमान जी -हर बाधा के पार करावा तानी ? हम कहनी -जय श्री राम ! हनुमान जी - हम तोहर रक्षा करै हियो केकरा कहे पे ? हम कहनी-श्री राम  के बोले पे ! जय श्री राम ! हनुमान जी अब मुस्कुरा के जाए घरी बोललन -बोलत रहीहे जय श्री राम ! न त मारबौ गदा कपार पर आ चढ जैईबै पहाड पर ! बोल जय श्री राम ! हम रटत रहनी जोर जोर से जय श्री राम ! जय श्री राम ! जय श्री राम ! तभीये मकानमालिक हडबडा के उठलन आ कहलन -का हुआ झाजी जे आधी रतिया के इतना जोर जोर से जय श्री राम बोल रहे है ? हम कहनी कुछो न रौआ जय श्री राम बोल के सो जाई ! हमरा त अब नींद आवे से रहल # बोल जय श्री राम