Saturday, July 15, 2017

#व्यंग्य #आपबीती

#व्यंग्य #आपबीती
आज सवेरे सवेरे ढाढ़ी-बाल नोचने लगा गर्मी के मारे त विचार बना कटवा लिया जाय । वैसे तो सोचे थे कि सावन भर रखेंगे लेकिन असहनीय गर्मी में मोह माया त्यागना पड़ा । मन चंगा त कठौती में गंगा।
  तो सोचते विचारते पहुंचे सैलून में । लगभग यहाँ शांतिदूत ही यह समाजसेवा करते है(बदले में अच्छा खासा रकम भी लेते हैं) । मेरा नंबर आया तो पूछा गया क्या करवाएंगे हम बोले भैया हजामत की दुकान पर हजामत ही तो बनवाएंगे । पहले कटोरा कट बाल काट दो फिर दाढ़ी बना देना । हमारे सर के पिच पर अपने मशीन, कैंची से कलाकारी दिखाने के बाद हजामत की बारी आयी।
गालों से जैसे ही अस्तुरा गर्दन तक पहुंचा उसने एक लंबी सांस ली और जोर से बोला -या अल्लाह । हम मने मने सोचे -अब न बनतै हमर तीनतल्लाह ?
फिर हिम्मत कर के पूछे- क्या हुआ भाईजान ? क्या इरादा है । उसने अस्तुरे में लगे फेंन को साफ करते हुए कहा - आजकल आप मोदीभक्त झाजी के नाम से फेसबुक पर हमलोग के बारे में बड़ा उटपटांग लिख रहे हैं । इससे माहौल खराब होता है । आपसी भाईचारे में दरार पड़ सकती हैं ? आप जिनकी पोस्ट शेयर करते हैं वे आपको बचाने आएंगे ? ऐसा क्या लिख दिया फेसबुकवा पर
हम बोले भाईजान हमारी गर्दन पर अस्तुरा चला के तुम्हे क्या मिलेगा ? जो भी 20-30 रुपये महीने में हमसे आमदनी आती है वो भी चला जायेगा ।
 यार हजामत बनाने पर ध्यान दो ।
उसने क्रीम को बड़ी बेदर्दी से मेरे चेहरे पर मसलते हुए कहा आप भले आदमी लगते हैं कहे तो बालों में मेहंदी लगा दूँ । हमने भी कहा नेकी आ पूछ पूछ ।
 काम खत्म होने के बाद उसको पैसे दिये तो उसने कहा -वैसे आपका पोस्ट पढ़ने में मज़ा आता है आते रहना भाईजान अल्लाह ने चाहा तो आपका तीनतल्लाह भी बन जायेगा ।
"प्रकाश कुमार"