Friday, September 4, 2015

चोला माटी के राम

चोला माटी के राम ।                                      बीते मंगलवार कि बात है मुजफ्फरपुर जिला में अपने क्षेत्र में थे ,जहाँ गाँव में भाडा पर डेरा लेकर रहते है । उस मकान में एक बुजुर्ग दंपती रहते है ,उनके बाकि परिवार मुजफ्फरपुर शहर में रहते है । बाबा कि उम्र कोई पचहत्तर साल के करीब होगी,मास्टरी से रिटायर थे । अपना पूरा ख्याल रखते थे ,सुबह चार बजे उठ जाना कसरत करना । इस उम्र में भी वो रोज दस बारह किलोमीटर साईकिल चला कर खेत गाछी घूम आते थे । बूढी थोडी बीमार रहती थी , ये ही उसकी पूरी सेवा करते थे । दोनों एक दूसरे का सहारा थे । महीने में एगाद बार कोई बेटा आकर देख जाता था । इनलोंगों को भी शहर चलने के लिए वे बार बार बोलते थे ,लेकिन गाँव घर के मोह माया में ये नहीं जाते थे । सुखी सम्पन्न परि
वार किसी चीज कि कोई कमी नहीं ।                मंगलवार कि सुबह मुझे जगने में थोडी देर हो गई चूँकी सोमवार को बाइक चलाके पटना से आए थे और दिन भर पूरा क्षेत्र भी भ्रमण किए थे । आईंदा बाबा के साथ साथ हम भी उठ जाते थे । करीब साढे पाँच- छ: के बीच का समय था बगल में हो हल्ला हो रहा था , हम अपना बिस्तर समेत रहे थे तभी बूढी आयी दुआरी पर बोली -देखू त झाजी मालिके के आवाज बुझाई छै झगडा होई छै कि ? हम बाडी में देखे तो बाबा ही नजर आए । हम आके बूढी को बता दिए मालिके हैं । मामला था कि इन्होनें घर के बगल में बाडी मे माटी भरवाया था ,बगल के जमीन वालों से झंझट था पुराना ,बगलवाले ने कुछ माटी अपनी ओर पसार लिया और नाला भी खान दिया था इसी बात का झगडा था । उधर से भी एक बूढी औरत थी दोनों तरब से बाता बाती होते होते बात बढ गयी । बाबा जोर जोर से गरज रहे थे ,बगल वाली बूढिया को डाँट डपट कर वो जैसै ही वापस अपने आँगन आ रहे थे कि चप्पल में धोती फँसी और वो गिर कर अचेत हो गए । उस समय हम अपने चौकी पर बैठकर पानी पी रहे थे तभी बूढी(मालिक कि पत्नी) जो खिडकी से सारा नजारा देख रही थी चिल्लाउ दौउडी हे झाजी मालिक गिर गेलथीन । हम दौड कर गए और गाँववालों कि सहायता से बाबा को उठा कर लाए ,देखने से लगा कि इनका हार्ट अटैक हुआ या ब्रेन हेमरेज हुआ है । बूढी के साथ साथ गाँव के लोग भी अपने स्तर से कोशिश कर रहे थे ,मैनैं अपनी बाईक निकाली और गाँव के एक डॉक्टर को पकड कर लाये ,उन्होंने देखते ही बता दिया नहीं रहे । फिर भी मन में संतोष नहीं हो रहा था , गाँववालों को बोले एक चार चक्का गाडी का इंतेजाम किजीए तब तक बाबा के बेटों को भी फोन कर दिए । एक आदमी बोलेरो लेकर आए उसमें बाबा और बूढी को बैठाकर हम पीछे से अपनी बाईक से चले ,रास्ते में ही उनके बेटा पोता भेंट हो गए । मुजफ्फरपुर में एक निजी क्लीनीक में ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दीया । वापस हमलोग लाश लेकर गाँव आ गए । कुछ ही घंटो में घर में रिश्तेदारों कि भीड लग गयी । शाम को दाँह संस्कार हुआ । मेरा तो दिमागे सुन्न हो गया था कि ये क्या होगा थोडी सी माटी के ढेला के लिए किसी की जान चली गयी । सच ही कहा गया है चोला माटी के राम ।

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