Tuesday, March 7, 2017

अगले_जनम_मोहे_स्टेट_बैंक_आॅफ_इंडिया_का_ग्राहक्_ही_बनईहो

आज न चाहते हुये भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक शाखा में प्रवेश करना पड़ा (एटीएम में कैश नहीं होने के कारण  ) यूँ तो मेरी कोशिश रहती है कि ज्यादातर काम कैशलेस हो जाये लेकिन बेचारे गाँव के सब्जी वाले,किराने वालों को कैश ही देना पड़ता है क्योंकि उनके पास कोई साधन नहीं है । 2000 का चेक भरने के बाद लाइन में लगे तो लगभग एक घंटे बाद मेरा नम्बर आया क्योंकि वो स्टेट बैंक के कर्मचारी बार-बार अपनी मोबाइल को निकालकर टीप टाप करते हुए बीएसएनएल के इंटरनेट स्पीड की तरह काम कर रहे थे । खैर जब मेरा नंबर आया तो मैंने अपना चेक डरते डरते उनकी और बढ़ाया तभी न जाने कहाँ से उनके कुछ शुभचिंतक आ गये । उन्होंने मेरे चेक की तरफ देखा भी नहीं । शूभचिंतको से निपटने के बाद अचानक उनका ध्यान घड़ी की सूई की तरफ चला गया मेरा चेक पीछे ठेलते हुए  उन्होंने कहा लंच टाइम हो गया है लंच के बाद आइये । मैंने सविनय निवेदन करते हुये आग्रह किया कि सर अभी लंच में 5 मिनट है मेरा चेक पेमेंट कर दीजिए मुझे फील्ड निकलना है मैं इतनी देर नहीं रूक सकता । उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पारंपरिक सेवा का निर्वहन करते हुए  मुझे मैनेजर से बात करने की अमूल्य सलाह दी । मैं डरते सहमते मैनेजर साहब के कक्ष में गया तो (अंग्रेज के जमाने  के जेलर )मैनेजर साहब ने मुझे ऐसे घूरा जैसे मैंने उनके कक्ष में आकर बहुत बड़ा अपराध कर दिया है । डरते सहमते मैने मैनेजर साहब को अपनी दुःख भरी व्यथा सुनाई ।  कैशलेस पर उनके बहुमूल्य विचारों को अनुग्रहीत  कर उनके प्यार भरे डाँट फटकार के बाद मुँह लटकाये हुए मैं उनके कक्ष से बाहर आया और अपने ही हाथों अपने चेक को निरस्त कर उन महान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मठ एवं सुयोग्य कर्मियों को साष्टांग प्रणाम करते हुये शाखा से बाहर आ गया ।                       कैशलेस झा जी                                                             स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के भुक्तभोगी ग्राहक                            #STATE_BANK_OF_INDIA #CASHLESS #अगले_जनम_मोहे_स्टेट_बैंक_आॅफ_इंडिया_का_ग्राहक्_न_बनईहो