Monday, October 2, 2017

हम कोनो गरीब छी

हम कोनो गरीब छी
नई भेटल बीपीएल नई भेटल एपीएल
हम कोनो गरीब छी
नई बनल कार्ड लाल नई पिअर
हम कोनो गरीब छी
नई बनल शौचालय नई भेटल आवास
हम कोनो गरीब छी
नई भेटैत अई विकलांग भाई आ बुढ़ माय के पेंशन
हम कोनो गरीब छी
नई मिलै आ आरक्षण नई सरंक्षण
हम कोनो गरीब छी
बाढ़ में सब दहा गेल किस्मत के जड़ा गेल
उपरे उपरे सब खा गेल
हम कोनो गरीब छी
इम्हर ओम्हर बौआई छी
केंहुतै कमा के खाई छी
हम कोनो गरीब छी

"प्रकाश कुमार"

Saturday, July 15, 2017

#व्यंग्य #आपबीती

#व्यंग्य #आपबीती
आज सवेरे सवेरे ढाढ़ी-बाल नोचने लगा गर्मी के मारे त विचार बना कटवा लिया जाय । वैसे तो सोचे थे कि सावन भर रखेंगे लेकिन असहनीय गर्मी में मोह माया त्यागना पड़ा । मन चंगा त कठौती में गंगा।
  तो सोचते विचारते पहुंचे सैलून में । लगभग यहाँ शांतिदूत ही यह समाजसेवा करते है(बदले में अच्छा खासा रकम भी लेते हैं) । मेरा नंबर आया तो पूछा गया क्या करवाएंगे हम बोले भैया हजामत की दुकान पर हजामत ही तो बनवाएंगे । पहले कटोरा कट बाल काट दो फिर दाढ़ी बना देना । हमारे सर के पिच पर अपने मशीन, कैंची से कलाकारी दिखाने के बाद हजामत की बारी आयी।
गालों से जैसे ही अस्तुरा गर्दन तक पहुंचा उसने एक लंबी सांस ली और जोर से बोला -या अल्लाह । हम मने मने सोचे -अब न बनतै हमर तीनतल्लाह ?
फिर हिम्मत कर के पूछे- क्या हुआ भाईजान ? क्या इरादा है । उसने अस्तुरे में लगे फेंन को साफ करते हुए कहा - आजकल आप मोदीभक्त झाजी के नाम से फेसबुक पर हमलोग के बारे में बड़ा उटपटांग लिख रहे हैं । इससे माहौल खराब होता है । आपसी भाईचारे में दरार पड़ सकती हैं ? आप जिनकी पोस्ट शेयर करते हैं वे आपको बचाने आएंगे ? ऐसा क्या लिख दिया फेसबुकवा पर
हम बोले भाईजान हमारी गर्दन पर अस्तुरा चला के तुम्हे क्या मिलेगा ? जो भी 20-30 रुपये महीने में हमसे आमदनी आती है वो भी चला जायेगा ।
 यार हजामत बनाने पर ध्यान दो ।
उसने क्रीम को बड़ी बेदर्दी से मेरे चेहरे पर मसलते हुए कहा आप भले आदमी लगते हैं कहे तो बालों में मेहंदी लगा दूँ । हमने भी कहा नेकी आ पूछ पूछ ।
 काम खत्म होने के बाद उसको पैसे दिये तो उसने कहा -वैसे आपका पोस्ट पढ़ने में मज़ा आता है आते रहना भाईजान अल्लाह ने चाहा तो आपका तीनतल्लाह भी बन जायेगा ।
"प्रकाश कुमार"

Tuesday, March 7, 2017

अगले_जनम_मोहे_स्टेट_बैंक_आॅफ_इंडिया_का_ग्राहक्_ही_बनईहो

आज न चाहते हुये भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक शाखा में प्रवेश करना पड़ा (एटीएम में कैश नहीं होने के कारण  ) यूँ तो मेरी कोशिश रहती है कि ज्यादातर काम कैशलेस हो जाये लेकिन बेचारे गाँव के सब्जी वाले,किराने वालों को कैश ही देना पड़ता है क्योंकि उनके पास कोई साधन नहीं है । 2000 का चेक भरने के बाद लाइन में लगे तो लगभग एक घंटे बाद मेरा नम्बर आया क्योंकि वो स्टेट बैंक के कर्मचारी बार-बार अपनी मोबाइल को निकालकर टीप टाप करते हुए बीएसएनएल के इंटरनेट स्पीड की तरह काम कर रहे थे । खैर जब मेरा नंबर आया तो मैंने अपना चेक डरते डरते उनकी और बढ़ाया तभी न जाने कहाँ से उनके कुछ शुभचिंतक आ गये । उन्होंने मेरे चेक की तरफ देखा भी नहीं । शूभचिंतको से निपटने के बाद अचानक उनका ध्यान घड़ी की सूई की तरफ चला गया मेरा चेक पीछे ठेलते हुए  उन्होंने कहा लंच टाइम हो गया है लंच के बाद आइये । मैंने सविनय निवेदन करते हुये आग्रह किया कि सर अभी लंच में 5 मिनट है मेरा चेक पेमेंट कर दीजिए मुझे फील्ड निकलना है मैं इतनी देर नहीं रूक सकता । उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पारंपरिक सेवा का निर्वहन करते हुए  मुझे मैनेजर से बात करने की अमूल्य सलाह दी । मैं डरते सहमते मैनेजर साहब के कक्ष में गया तो (अंग्रेज के जमाने  के जेलर )मैनेजर साहब ने मुझे ऐसे घूरा जैसे मैंने उनके कक्ष में आकर बहुत बड़ा अपराध कर दिया है । डरते सहमते मैने मैनेजर साहब को अपनी दुःख भरी व्यथा सुनाई ।  कैशलेस पर उनके बहुमूल्य विचारों को अनुग्रहीत  कर उनके प्यार भरे डाँट फटकार के बाद मुँह लटकाये हुए मैं उनके कक्ष से बाहर आया और अपने ही हाथों अपने चेक को निरस्त कर उन महान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मठ एवं सुयोग्य कर्मियों को साष्टांग प्रणाम करते हुये शाखा से बाहर आ गया ।                       कैशलेस झा जी                                                             स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के भुक्तभोगी ग्राहक                            #STATE_BANK_OF_INDIA #CASHLESS #अगले_जनम_मोहे_स्टेट_बैंक_आॅफ_इंडिया_का_ग्राहक्_न_बनईहो

Saturday, January 28, 2017

फिल्म समीक्षा रईस

रईस फिल्म में दिखाया गया है कि शांतिदूत बहुत अच्छे इंसान होते है वे धर्म का धंधा नहीं करते । रईस शराब बेचता है, अपने दुश्मनों को मारता है लेकिन कोई गलत काम नहीं करता । रईस बच्चा मे किताब निकालकर बैग में शराब की बोतले भर इधर उधर पहुँचाने का काम करते है । फिल्म में दो बार मोहर्रम और एक बार ईद मनाया जाता है । हज से लौटते हुए हाजियो पर हमला होता है जिससे शहर में दंगा भड़कता है । शराबबंदी के लिए विरोधी दल का नेता रथ नुमा गाड़ी पर रैली निकालता है जिसे रईस और उसके आदमी पुलिस  के सामने ही खदेड़ खदेड़ कर मारते है । सी एम भी रईस से मिला हुआ रहता है । लोगों कि भलाई करने में  रईस कंगाल हो जाता है । जेल जाता है और जेल से ही चुनाव लड़कर एम एल ए बन जाता है । लोगों से पैसा लेकर उनके लिए घर बनाना चाहता है लेकिन गठबंधन की सरकार उसे ऐसा करने नहीं देती । लोगों का पैसा लौटाने के लिए वो मूसा भाई का एक काम करता है जिसमें दोहा से सोना स्मललिंग कर आता है । सोने के अंदर आर डी एक्स छिपा होता है जिसका रईस को पता नहीं होता है । उस आर डी एक्स से कई जगह बम धमाके  होते है । रईस मुसा भाई को मार देता है । पुलिस के हाथों आत्मसमर्पण कर देता है लेकिन पुलिस उसका फर्जी इनकाउंटर कर देती है । #फिल्म_समीक्षा #रईस #महाबकवास

Monday, January 9, 2017

कैशलेस

आई ठंडा में ठिठुरत ठिठुरत मन भेल की किछ लिखल जाय । जखन हमरा कंबल ओढ़ने अतेक जाड़ लगई अ  त मुदा गरीबहा के की हाल हेतई ओना त हमहूँ गरीबे छी मुदा कोनो विश्वास नई करई आ । मोदी जी के धनबाद देवाक् चाही की नोटबंदी कराक् लोग के खर्चा घटवाक देलखीन  । अब लोग बचा बचा क पाई खर्च करई आ कियाक् अब बैंक/एटीएम से कहीया निकलत कोनो ठिकाना नई । ग्रामीण क्षेत्र में अखनो बैंक म नकदी के दिकदारी चल रहल छई । टाउन में कोनो परेशानी नई अई एटीएमों में धकाधक पाई निकलई आ । टाउन में लोग के पास बहत्तर को उपाय छई कैशलेस बने के क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम, पेटीएम,पी ओ एस मशीन, मोबाइल वैलेट आदि । आ ग्रामीण क्षेत्र में उहे एगो सरलका ग्रामीण  बैंक के ब्रांच जेकर मैनेजर आ कैशिअर के हर दम मुँहे सुखायल रहई छई ।  कुँअहासा के दिन में उगल धूप जका बैंक में कैश अबई आ । ऊहो में बड़कहवा सब पहलेही अप्पन नम्बर लगेने रहई आ । जे बचल खुचल गरीबहा के भेंटल ऊहे में केनहऊतो गुजारा चल रहल छई । ग्रामीण क्षेत्र के एटीएम के शटर  त राहुल बाबा जनाक्  कहीया खुलई आ कहीया बंद होअई बुझबे नई करई छी ।  कैशलेस के फेरा में कतेक क त  कपारो के  केस उड़ रहल अछी । मुदा जे भेल नीके भेल । आब जेही विधी राखे राम आ मोदी जी ।